समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को सिगरा स्टेडियम का नाम बदलने के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।
डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम का नाम बदलकर वाराणसी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स किए जाने पर सपा नेताओं ने इसे राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया और सरकार पर महापुरुषों का अपमान करने का आरोप लगाया। सपा कार्यकर्ताओं ने स्टेडियम के गेट पर धरना देते हुए जोरदार नारेबाजी की और स्टेडियम के नए बोर्ड को हटाने की मांग की।
सपा नेताओं का कहना है कि डॉ. संपूर्णानंद जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यपाल रहे का नाम हटाने से वाराणसी की जनता आहत है। उन्होंने इस बदलाव को बनारस की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से छेड़छाड़ बताया। सोमवार को इस प्रदर्शन का नेतृत्व सपा MLC आशुतोष सिन्हा कर रहे थे। उन्होंने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ स्टेडियम के प्रदर्शनकारियों ने स्टेडियम में प्रवेश करने का प्रयास किया, लेकिन गेट बंद होने की वजह से वे अंदर नहीं जा सके। इससे नाराज कार्यकर्ताओं ने गेट पर चढ़कर स्टेडियम के बोर्ड पर पोस्टर चिपका दिए, जिसमें नाम वापस बदलने की मांग की गई थी। गुस्साए प्रदर्शनकारियों के आक्रामक तेवरों को देखकर गार्ड वहां से हट गए। इसके बाद सपा कार्यकर्ताओं ने गेट के बाहर धरना देकर विरोध जताया।
सपा MLC ने दी उग्र आंदोलन की चेतावनी
इस दौरान पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और स्थिति को काबू में किया। शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बाद सपा नेताओं ने मख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर स्टेडियम का नाम वापस बदलने की मांग की। सपा MLC आशुतोष सिन्हा ने इस दौरान कहा कि डॉ. संपूर्णानंद शिक्षा और हिंदी भाषा के विकास में अग्रणी रहे हैं और उनका नाम हटाना वाराणसी की जनता के लिए दुखद है।
सिन्हा ने भाजपा सरकार पर महापुरुषों के नाम मिटाने का आरोप लगाते हुए कहा कि
यदि स्टेडियम का नाम पुनः नहीं बदला गया, तो सपा बड़े पैमाने पर जनआंदोलन
करेगी। उन्होंने यह भी चेतावनी दिया कि यह मुद्दा केवल नाम बदलने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे इतिहास और संस्कृति के
अपमान के रूप में देखा जा रहा है।
बता दें कि रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 216.29 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए वाराणसी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स के फेज-2 और फेज-3 का उद्घाटन किया था, जिसमें 20 से अधिक खेलों के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा। लेकिन इस नाम परिवर्तन के बाद से सपा और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
सपा और कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह कदम महापुरुषों के योगदान को नजरअंदाज करने और इतिहास से छेड़छाड़ करने की साजिश है, जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।