वाराणसी के कैंट क्षेत्र के फुलवरिया में नवचेतना कला एवं विकास समितिपिछले 32 वर्षों से गंगा-जमुनी तहज़ीब की अद्भुत मिसाल पेश करते हुए श्री रामलीला का आयोजन कर रही है। इस वर्ष भी यह आयोजन नवरात्र के पहले दिन से प्रारंभ होगा और भारत मिलन के साथ संपन्न होगा। खास बात यह है कि इस रामलीला के संस्थापक अध्यक्ष मुस्लिम समुदाय से थे और आज भी 250 से अधिक मुस्लिम सदस्य प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस रामलीला से जुड़े हुए हैं।
इस वर्ष विजय दशमी के अवसर पर महापौर अशोक कुमार तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। रामलीला की शुरुआत 1992 में हुई थी, जब इसके संस्थापक नजमुद्दीन ने इसे स्थापित किया था। नजमुद्दीन अपने जीवनकाल तक इसके निर्विवाद अध्यक्ष रहे और उनके परिवार के सदस्य आज भी रामलीला से सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं।
रामलीला में मुस्लिम समुदाय के बच्चों की भागीदारी भी विशेष रूप से देखने लायक है। इसके तहत मुस्लिम परिवार के बच्चे विभिन्न पात्र निभाते हैं और आशिक अली द्वारा रामलीला के श्रृंगार का काम किया जाता है।
रामलीला के अध्यक्ष हेमंत कुमार सिंह ने बताया कि इसमें सभी पात्र गांव के ही बच्चे निभाते हैं, जो कि स्थानीय युवाओं और किशोरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनते हैं। इस रामलीला के मंचन के साथ-साथ युवाओं को सम्मानित करने का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है, जिससे उनकी प्रतिभा को प्रोत्साहन मिलता है।
नजमुद्दीन के भाई गुलामुद्दीन ने बताया कि वे और उनका परिवार इस आयोजन के साथ शुरुआत से ही जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम परिवार के बच्चे बड़ी ईमानदारी से अपनी भूमिका निभाते हैं और 60 फुट ऊंची रावण की प्रतिमा का निर्माण भी इस आयोजन का मुख्य आकर्षण होता है, जिसे वाराणसी में खूब सराहा जाता है।
नवचेतना समिति की यह रामलीला वाराणसी की प्रसिद्ध रामलीलाओं में से एक मानी जाती है, जिसे देखने के लिए आसपास के गांवों के लोग बड़ी संख्या में जुटते हैं।